रमेश भाई आँजना
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वादो की खीर बांटना मुझे नहीं आता ,,,,,,,,,,
हसरतो एवं बुलन्दीओ की उंचाईया ,,,,,,
तो पा ली होती कब की मेने ,,,,,
मगर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपने उसूलो से हटना मुझे नहीं आता ,,,,,,,,,,
हर तरह के वादो एवं समझोतो से ,,,,,,,,,,
समझोता करना मुझे नहीं आता,,,,,
आपका आपना
“”आर . बी . आँजना “”
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